वो दिन गये कि मोहब्बत थी जान की बाजी-Waseem Barelvi

Poetry  Details:-

वो दिन गये कि मोहब्बत थी जान की बाजी-इस पोस्ट मे Waseem Barelvi जी की लिखी हुई कुछ शायरियाँ सम्मलित की गयी है,जो Waseem Barelvi के द्वारा ही प्रस्तुत किया गया है।

जायदादे कहाँ बँटी इनमें
जायदादो मे बँट गये भाई

पानी पे तैरती हुई ये लाश देखिये
और सोचिये,कि डूबना कितना मुहाल है

रोशनी से है दामन बचाये
कितने खुद्दार होते है साये

किसी का राज किसी से कभी नही कहते
ये एहतियात अंधेरो मे पायी जाती है

फैसला हो ही नही पाया बहुत बातो के बाद
कौन खुलता है यहाँ कितनी मुलाकातो के बाद
आँसुओ के सामने पत्थर दिली की क्या बिसात
अच्छे अच्छे घर दरक जाते है बरसातो के बाद

उदास एक मुझ ही को तो कर नही जाता
वो मुझसे रूठ के अपने भी घर नही जाता
वो दिन गये कि मोहब्बत थी जान की बाजी
किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नही जाता

खुल के मिलने का सलीका आपको आता नही
और मेरे पास कोई चोर दरवाजा नही
वो समझता था उसको पाकर ही मै रह जाऊँगा
उसको मेरी प्यास की शिद्दत का अंदाजा नही
जा दिखा दुनिया को, मुझको क्या दिखाता है गुरूर
तू समंदर है तो हो, मै तो मगर प्यासा नही

जवाँ नजरो पे कब उंगली उठाना भूल जाते है
पुराने लोग है,अपना जमाना भूल जाते है
कोई टूटी सी कश्ती ही बगावत पर उतर आये
तो कुछ दिन को ये तूफां,सर उठाना भूल जाते है
जिन्हे आपस में टकराने से ही फुरसत नही मिलती
उन्ही शाखो के पत्ते लहलहाना भूल जाते है

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