वक़्त मुझको तेरी ओर कब ले गया-Aman Akshar

Poetry Details:-

वक़्त मुझको तेरी ओर कब ले गया-इस पोस्ट मे Aman Akshar जी के लिखे कुछ गीत सम्मिलित किये गये है,जो उन्ही के द्वारा प्र्स्तुत किये गये है।

प्यार अंधियार था तो अंधेरे हुये,ऐसे कितने है जिनके सवेरे हुये
हम तो दुनिया से कबके बरी हो गये,ये तेरे लोग है हमको घेरे हुये
तोड़ कर कोई मानक नही आये है,अपने हिस्से कथानक नही आये है
जिंदगी ने मुसलसल पुकारा हमें,हम यहाँ तक अचानक नही आये है
सब यहाँ खुशनुमा था के तुम आ गये,एक ठिकाना जमा था के तुम आ गये
फिर तुम्हारे बिना तुम पे मरने का ये सिलसिला बस थमा था के तुम आ गये

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मुझ मे थी इक विकलता तुम्हारे लिये, द्वार दीपक सजलता तुम्हारे लिये
और जो होता पता तुम यही आओगे,मै ना घर से निकलता तुम्हारे लिये
सारे करतब दिखाये तुम्हारे लिये,कितने चेहरे बनाये तुम्हारे लिये
युं तो दुनिया को भी खूब भाये मगर हम कहानी मे आये तुम्हारे लिये
युद्ध की ओर बड़ता तुम्हारे लिये,जीतता या के मरता तुम्हारे लिये
और सुलह की जो उम्मीद होती तो मै,तुमसे भी बात करता तुम्हारे लिये
पुण्य भी ढोये अनगिन तुम्हारे लिये,बिन जिये रह गये दिन तुम्हारे लिये
सारी दुनिया गयी जाने किसके लिये,हम गये स्वर्ग लेकिन तुम्हारे लिये

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भाग्य रेखाओ मे तुम कही भी ना थे,प्राण के पार केवल तुम्ही दीखते
साँस के युद्ध मे मन पराजित हुआ,याद की अब कोई राजधानी नही
प्रेम तो जन्म से ही प्रणयहीन है,बात लेकिन कभी हमने मानी नही
हर नये युग तुम्हारी प्रतीक्षा रही,हर घड़ी हम समय से अधिक बीतते
भाग्य रेखाओ मे तुम कही भी ना थे,प्राण के पार केवल तुम्ही दीखते
इक तरफ आस के कुछ दिये जल उठे,इक तरफ मन विदा गीत गाने को है
प्रिय इस जन्म भी कुछ पता ना चला,प्यार आता है या सिर्फ जाने को है
जो सहज जी गये तुम हमारे बिना हम वो जीवन तुम्हारे ही संग सीखते

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साँस की अनछुई डोर कब ले गया,मेरी भटकन का इक छोर कब ले गया
भाग्य के द्वार मै सिर पटकता रहा,वक्त मुझको तेरी ओर कब ले गया
आग पर हाथ धरना पड़ेगा तुम्हे,खुद को लाचार करना पड़ेगा तुम्हे
जिंदगी तो कहेगी मोहब्बत करो,फिर मोहब्बत मे मरना पड़ेगा तुम्हे
कौन सी बात थी तुम नही आ सके,क्या वही बात जो हम नही गा सके
तुम भी तन्हाई के चारागर कब हुये,हम भी बीमार को घर नही ला सके

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प्रेम संवाद था मै नही हो सका,गीत अनुवाद था मै नही हो सका
कब कोई आप अपना सहारा हुआ,तू ही अपवाद था मै नही हो सका
प्राण आहत भी होना नही चाहिये,देह अम्रत भी होना नही चाहिये
या मुझे आदमी थोड़ा बेहतर करे,या मोहब्बत भी होना नही चाहिये

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