Poetry Details:-
मोहब्बत से ज्यादा है,इबादत से जरा कम है-NAGHMA NOOR BEST PERFORMANCE @ANDAAZ E BAYAAN AUR-इस पोस्ट में NAGHMA NOOR की लिखी गयी कुछ गज़ले और शायरियाँ पेश की गयी है,जोकि NAGHMA NOOR के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
तुम्हारा जिक्र ओंठो पर तिलावत से जरा कम है
मोहब्बत से ज्यादा है,इबादत से जरा कम है
यहाँ जल्लाद भी,कातिल भी,मुंसिफ भी,गवाही भी
जिसे हम घर समझते है,अदालत से जरा कम है
मेरी दीवार पर कितने कैलेंडर हो गये बूढ़े
तेरे आने का वादा भी कयामत से जरा कम है
-*-
किसी रिशते मे झगडा,बारहा अच्छा नही होता
मुसलसल इक जमीं पर ज़लज़ला अच्छा नही होता
ताल्लुक तोड़ने के कब्ल ठंडे जेहन से सोचो
के गुस्से मे कोई भी फैसला अच्छा नही होता
बहुत पाबंदिया बच्चो को बागी कर भी सकती है
बड़ो का सख्त लेहजा ज़ाबज़ा अच्छा नही होता
-*-
तुम्हारी खामोशी से गुस्से का अंदाजा होता है
समुंदर चुप रहे तो खतरे का अंदाजा होता है
किसी की गुफ्तगू से उसकी नियत झाँक लेती है
किसी से मिलके उसके शज़रे का अंदाजा होता है
ये किस्सा आम है के बेटी माँ को डाँट देती है
उसे माँ बनके ही इस सदमे का अंदाजा होता है
-*-
मेरी आँखो के जैसी हो गयी है,तेरी तस्वीर धुंधली हो गयी है
कहाँ अब गाँव में वो सोंधी खुशबू,सड़क जो थी वो पक्की हो गयी है
सदा चलती है कांधो को झुका कर,वो जब से माँ से लंबी हो गयी है
जरा सा बाप से लंबा हुआ क्या,तेरी आवाज ऊँची हो गयी है
-*-
उसका अंदाज-ए-तकल्लुम मुझे बहका देगा
झूठ भी ऐसे कहेगा मुझे झुठला देगा
वो तबीयत का तो खुद्दार है बहुत लेकिन
मेरी खुशियो के लिये हाथ भी फैला देगा
इस कदर उसकी वफाओ पे यकीं करती हुँ
माँग लेगा वो मुझे हूर को ठुकरा देगा
किसी के कहने से अच्छा बुरा नही होता
हर एक शख्स यहाँ आईना नही होता
नये लिबास से चेहरा नया नही होता
अकड़ के चलने से कोई बड़ा नही होता
तमाम राहे तेरी काश मेरे घर आती
फिर उसके बाद कोई रास्ता नही होता
वो बेपनाह मोहब्बत तो मुझसे करता है
मगर वो खुद से ज्यादा मेरा नही होता
-*-
खुशी का शीश महल थरथरा के टूट गया
हमारी गोद मे जब चाँद आ के टूट गया
तमाम उम्र की मेहनत जो नही टूटा
वो बूढा बाप वसीयत सुना के टूट गया
-*-
जमीन तंग सही मेरे नाम तो कुछ करो
तुम अपने दिल मे मेरा इंतज़ाम कुछ तो करो
ज़ईफ बाप की कब तक कमायी खाओगे
जवान हो गये अब काम धाम कुछ तो करो
-*-
बहार,जेठ,खिज़ा,मेघ झूठ सब मौसम
चले भी आओ के है भीगे भीगे सब मौसम
वो मुझमे कौन सा मौसम तलाश करता है
उसी से हो के तो आते है मेरे सब मौसम
ज़रा सताऊंगी,छेड़ूगी फिर मनाऊंगी
मै एक साथ नही दूंगी सब के सब मौसम
-*-
आईना खुद को बना लू उसे चेहरा कर दूं
इस कदर चाहु उसे उसको ही दुनिया कर दूं
तेरा दिल सख्त है फौलाद की मानिंनद तो क्या
मै भी पारस हुं उसे छू लू तो सोना कर दूं
मेरी ममता के मुकाबिल तेरी शफ्कत क्या है
अपनी कीमत जो बता दूं तुझे सस्ता कर दूं
तल्ख लेहजे मे निखरती है मोहब्बत उसकी
मैने चाहा भी नही नीम को मीठा कर दूं
अब भरोसे का नही रह गया रिशता कोई
नाम ले लू तो कई चेहरे को नंगा कर दूं
-*-
मै तेरे साथ रहूं,तू जहाँ कही भी रहे
किसी भी शक्ल मे,तू अपने पास रख ले मुझे
तू अपने कुर्ते का मुझको बटन बना ले कभी
कभी मै कोट का तेरे ब्रोच बन जाँऊ
मुझे गले से लगा ले तू टाई की सूरत
मै तेरी रूह मे परफ्युम सी उतर जाँऊ
मुझे बना के तू रुमाल जेब मे रख ले
तू अपने हाथ की मुझको घड़ी बना ले कभी
मै तेरे पास रहूं,ऐसे जैसे मोबाइल
मै तेरे साथ तेरा लेपटाँप बन जाऊ
तेरे बैगेर मेरा घर मे जी नही लगता
तू अपने पैर की जूती बना के रख ले मुझे