मिलना था इत्तेफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था-Anjum Rahbar

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मिलना था इत्तेफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था-Anjum Rahbar-इस पोस्ट में Anjum Rahbar की लिखी गयी कुछ गज़ले और शायरियाँ पेश की गयी है,जोकि Anjum Rahbar के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।

दिल की किस्मत बदल ना पायेगा
बंधनो से निकल ना पायेगा
तुझको दुनिया के साथ चलना है
तू मेरे साथ चल ना पायेगा

-*-

चाँद बन जाते सितारो का बदल बन जाते
धड़कने लिखती है जिसको वो गज़ल बन जाते
मालो दौलत से नही,दिल से बना करते है
वरना दुनिया मे कई ताजमहल बन जाते

-*-

इतने करीब आ के सदा दे गया मुझे
मै बुझ रही थी कोई हवा दे गया मुझे
जीने का इक मिजाज नया दे गया मुझे
माँगा था मैने ज़हर दवा दे गया मुझे

-*-

हम से फिर प्यार का इज़हार किया है तुमने
ये तमाशा तो कई बार किया है तुमने
रोज जाते हो अयादत के लिये गैरो की
मुझको तरकीब से बीमार किया है तुमने
ये तमाशा तो कई बार किया है तुमने

-*-

अपनी बातो पे खुद गौर कर ले
और सोचे ये क्या कह रहे है ?
पहले अपने गरेबां मे झाँके
जो हमे बेवफा कह रहे है

-*-

जिंदगी से बहुत दूरियाँ है
जिंदा रहना भी मजबूरियाँ है
उनके हालात भी कोई देखे
ज़हर को जो दवा कह रहे है
दिल जो टूटा तो कुछ ग़म नही है
तुमको पेहचानगे कम नही है
तुम जिसे जीत कहते हो अपनी
हम उसे तजुर्बा कह रहे है

-*-

जान भी अब दिल पे वारी जायेगी
ये बला सर से उतारी जायेगी
एक पल तुझ बिन गुज़रना है कठिन
जिंदगी कैसे गुजारी जायेगी
जाने कब वो आयेगा परदेस से
जाने कब ये बेकरारी जायेगी
आसमां से चाँद तारे नोच लो
कब तलक झोली पसारी जायेगी
प्यार के चक्कर मे ‘अंजुम ‘ एकदिन
जिंदगी बेमौत मारी जायेगी
ये बला सर से उतारी जायेगी

-*-

मिलना था इत्तेफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
वो इतनी दूर हो गया,जितना करीब था
मै उसको देखने को तरसती ही रह गयी
जिस शख्स की हथेली मे मेरा नसीब था
बस्ती के सारे लोग ही आतिश परस्त थे
घर जल रहा था और समंदर करीब था
दफना दिया गया मुझे चाँदी की कब्र मे
मै जिस को चाहती थी वो लडका गरीब था
‘अंजुम’ मै जीत कर भी यही सोचती रही
जो हार कर गया है बहुत खुशनसीब था

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