बिछड़ गये तो ये दिल उम्र भर लगेगा नही-UMAIR NAJMI | LATEST MUSHAAIRA

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बिछड़ गये तो ये दिल उम्र भर लगेगा नही-UMAIR NAJMI | LATEST MUSHAAIRAइस पोस्ट मे कुछ गजल,शेर और मतले पेश किये गये है जिन्हे UMAIR NAJMI जी ने लिखा और प्रस्तुत किया है।

सब इंतजार में थे , कब कोई जबान खुले
फिर उसके होंठ खुले और सबके कान खुले
हमारी आँख मे खद्दर के ख्वाब दिखते थे
तुम आये और यहाँ बोसकी के थान खुले
गया वो शख्स तो नजरे उठाई लोगो ने
हवा थमी तो जहाजो के बादवान खुले
ये कौन भूल गया उसके होंठो की तस्वीर
ये कौन छोड़ गया गुड़ के मर्तवान खुले?

 

हमारी मान हमे खुद पे इख्तियार ना दे
कही तुझे ये मुसलसल जुनून मार ना दे
कहा था तैश मे मेरे वगैर उम्र गुजार
और अब ये फिक्र कही वाकई गुजार ना दे
उजरते काफिया पेमाई नही मिलती थी
पहले इस काम मे इक पाई नही मिलती थी
अब तो महफिल मे भी आता है अकेला होना
पहले खलवत मे भी तन्हाई नही मिलती थी
अगले वक्तो मे भी मिलती थी जहालत को सनद
लेकिन इस दर्जा पजीराई नही मिलती थी
अब तो कुछ नफा भी दे जाती है ये जिन्से जुनू
पहले लागत भी मेरे भाई नही मिलती थी
गुनगुनाते थे सदा अंतरे से इशक का गीत
तुझसे पहले हमे इ्स्थायी नही मिलती थी

 

बिछड़ गये तो ये दिल उम्र भर लगेगा नही
लगेगा लगने लगा है,मगर लगेगा नही
नही लगेगा उसे देखकर मगर खुश है
मै खुश नही हुँ,मगर देख कर लगेगा नही


शब बशर करनी है,महफूज़ ठिकाना है कोई?
कोई जंगल है यहाँ,पास मे सेहरा है कोई
वैसे सोचा था मोहब्बत नही करनी मैने
इसलिये की के कभी पूछ ही लेता है कई
जानता हुँ के तुझे साथ तो रखते है कई
पूछना था के तेरा ध्यान भी रखता है कोई?
दुख मुझे इसका नही है के दुखी है वो शख्स
दुख तो ये है के सबब मेरे अलावा है कोई
दो मिनिट बैठ,मै बस आईने तक हो आऊं
उसमे इस वक्त मुझे देखने आता है कोई

 

भरा हुआ था मै खुद से,नही थी खाली जगह
फिर उसने आ के हटाया जरा,बना ली जगह
तु उसके दिल मे जगह चाहता है यार जो शख्स
किसी को देता नही अपने साथ वाली जगह
कुछ ऐसी भीड़ थी मुझमे मेरी जगह ना बची
तू देख फिर भी तेरे वास्ते बचा ली जगह
शज़र को इशक हुआ आसमानी बिजली से
फिर एक शब वो मिले देख उधर वो काली जगह
जगह नही थी नये ख्वाब के लिये बिल्कुल
सो नम निकाल कर आँखो से कुछ निकाली जगह
मै सोचता हुँ पता दू तेरी जगह का उन्हे
जो सोचते है के जन्नत है एक ख्याली जगह

 

बरसो पुराना दोस्त मिला,जैसे गैर हो
देखा,रुका,झिझक के कहा तुम उमैर हो?
मिलते है मुश्किलो से यहाँ हम ख्याल लोग
तेरे तमाम चाहने वालो की खैर हो
हम मुतमईन बहुत है अगर खुश नही भी है
तुम खुश हो क्या हुआ जो हमारे बगैर हो
कमरे मे सिगरेटो का धुंआ और तेरी महक
जैसे शदीद धुंध में बागो की सैर हो
पैरो मे उसके सर को धरे इल्तिजा करे
इक इल्तिजा के जिसका ना सर हो ना पैर हो

 

झुकके चलता हुँ के कद उसके बराबर ना लगे
दूसरा ये के उसे राह मे उसे ठोकर ना लगे
ये तेरे साथ ताल्लुक का बड़ा फायदा है
आदमी हो भी तो औकात से बाहर ना लगे
माँ ओ ने चूमना होते है बुरीदा सर भी
उनसे कहना के कोई जख्म जबीं पर ना लगे
नीम तारीख सा माहोल है दरकार मुझे
ऐसा माहोल जहाँ आँख लगे डर ना लगे
तुमने छोड़ तो किसी और से टकराऊंगा मै
कैसे मुमकिन है के अंधे का कही सर ना लगे

 

मेरा हाथ पकड़ ले पागल जंगल है
जितना भी रोशन हो जंगल,जंगल है
मै हुँ,तुम हो बेले पेड़ परिंदे है
कितने अर्से बाद मुकम्म्ल जंगल है
मुझमे कोई गोशा भी आबाद नही
जंगल है सरकार,मुसलसल जंगल है

 

कहा जो मैने गलत कर रही हो चुन के मुझे
अचानक उसने कहा “चुप” ये बात सुन के मुझे
उधेड़ दे गर इरादा नही पहनने का
ये क्या के एक तरफ रख दिया है बुनके मुझे
कोई जुनून हवा मे उड़ा दे मेरा वजूद
कोई असां हो जो रुई की तरह धुनके मुझे
किसी ने कह के जब इक हाँ बसाया दिल का जहाँ
कसम खुदा की समझ आये माने कुन के मुझे

 

हर इक हजार मे बस पाँच सात है हम लोग
निसाबे इशक पे वाजिब ज़कात है हम लोग
दबाब मे भी जमात कभी नही बदली
शुरु दिन से मोहब्बत के साथ है हम लोग
ये इंतजार हमे देख कर बनाया गया
ज़हूरे हिज्र से पहले की बात है हम लोग
किसी को रास्ता दे दे,किसी को पानी ना दे
कहीं पे नील,कही पर फु्रात है हम लोग
हमे जला के कोई शब गुजार सकता है
सड़क पर बिखरे हुये कागजात है हम लोग

 

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