तू समझता है कि रिशतो की दुहाई देंगे-Wasim Barelvi

Poetry Details:-

तू समझता है कि रिशतो की दुहाई देंगे- इस पोस्ट मे कुछ शेर और शायरीयो को सम्मलित किया गया है ,जो कि Wasim Barelvi जी के द्वारा लिखा एवं प्रस्तुत किया गया है।

तेरे चिराग अलग हो,मेरे चिराग अलग
मगर उजाला तो फिर भी जुदा नही होता

वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरते लाया तो था
मैने उसके हाथ चूमे,और बेबस कर दिया

वो मेरी पीठ मे खंजर जरुर उतारेगा
मगर निगाह मिलेगी तो कैसे मारेगा

तू समझता है कि रिशतो की दुहाई देंगे
अरे हम तो वो है,तेरे चेहरे से दिखाई देंगे
हमको महसूस किया जाये है,खुशबू की तरह
हम कोई शोर नही है,जो सुनायी देंगे
फैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ
आप क्या खाक अदालत मे सफाई देंगे?
पिछली सफ मे ही सही ,है तो इसी महफिल मे
आप चाहेगे तो हम क्युं ना दिखाई देंगे

कहाँ सवालो के तुम से जबाब माँगते है?
हम अपनी आँखो के हिस्से के ख्वावो मांगते है
हमीं को दरिया पे जाने से रोकने वाले
हमीं से पानी का सारा हिसाब मांगते है
अजीब लोग है,इन पर तो रहम आता है
जो काँटे बो के जमीं से गुलाब मांगते है
गुनहगार तो नजरे है आपकी, वरना
कहाँ ये फूल से चेहरे नकाब मांगते है
बहल ना पायेंगे बातो से आज के बच्चे
ये हर सवाल का अपने जबाब मांगते है

फूल तो फूल है आँखो से घिरे रहते है
काँटे बेकार हिफाजत मे लगे रहते है
उसको फुरसत नही मिलती के पलट कर देखे
हमीं दीवाने है दीवाने बने रहते है
मुंतजिर मै ही नही रहता किसी आहट का
कान दरवाजे पे उसके भी लगे रहते है
देखना साथ ही छूटे ना बुजुर्गो का कहीं
पत्ते पेड़ो पे लगे हो तो हरे रहते है

कल एक गाँव की बुढिया मेरी कार से जब टकरायी
बोली तोहरा दोष नही है हमीं को दिखत नाही है

रहम की भीख को बना लिया जब दुशमन ने हथियार
फेंक दी अपने हाथ से मैने उठी हुई तलवार

गाँव से आया हुँ जोड़ेगे नही तोड़ेगे
शहर के लोग है ऐसे तो नही छोड़ेगे
बह गया वक्त के सैलाब मे रिश्तो का गुरुर
कितना चाहा था के अपनो को नही छोड़ेगे

किससे नाराज हो किस बात का शिकवा करना
छोड़ बैठे हो अगर खुद पे भरोसा करना
जा मेरे यार नही तुझ पे भरोसा करना
तुझको आता है बहुत अपना पराया करना
ठोकरो को भी नही होती,हर एक सर की तलाश
भांप लेती है किसे आता है सजदा करना
झुक के मिलने पे जो आ जाये कही थोड़ा गुरुर
फिर भी तनहाई में जा कर ही सर ऊँचा करना
ऐसा एक शख्स ही कुछ भी नही करने देता
वो जो कहता है के ऐसा नही, ऐसा करना
होता कुछ और है,कुछ दिखता है,कुछ लगता है
कितना दुशवार है आँखो पे भरोसा करना

दुनिया की हर जंग वही लड़ जाता है
जिसको अपने आप से लड़ना आता है
पर्दा जब गिरने के करीब आ जाता है
तब जा कर कुछ खेल समझ मे आता है
तू क्या समझा तुझसे बिछड़ कर बिखरुंगा
देख ये मै हुँ,मुझको संभलना आता है

 

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