तुम्हे ये ग़म है,के अब चिठ्ठिया नही आती- परवाज़-ए-सुख़न 2021-CHARAGH SHARMA

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तुम्हे ये ग़म है,के अब चिठ्ठिया नही आती- परवाज़-ए-सुख़न 2021-इस पोस्ट में CHARAGH SHARMA की लिखी गयी कुछ गज़ले और शायरियाँ पेश की गयी है,जोकि CHARAGH SHARMA के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।

तुम्हे ये ग़म है,के अब चिठ्ठिया नही आती
हमारी सोचो हमें हिचकियाँ नही आती


मेरे सेहरा पर नही होती अगर बारिश,न हो..
लेकिन इतना हो के फिर फूलो की फरमाइश ना हो
जिंदगी करती है मेरे साथ रोजाना मजाक
और मजाक ऐसा के हँसने तक की गुंजाइश ना हो
इतने अबसुर्दा नही है हम,के कर ले खुदखुशी
और ना इतने खुश,के सच मे मरने की ख्वाहिश ना हो


ऐ..फूल बेचने वाले तुझे गुमान भी है?
के तेरे शहर मे,तेज़ाब की दुकान भी है?
हमारे दिल मे कभी पाँव के निशान बना
के इस सड़क की तरफ तीर का निशान भी है
ये आसमान अगर सायेवान है तेरा
तो भूल मत के किसी का ये पायदान भी है
जब आज उसने बताया तो मुझको याद आया
यही कि उसकी गली में मेरा मकान भी है
बना रखा है किसी ने हथेलियो को पहाड़
“चिराग” अब के हवाओ का इम्तिहान भी है


उदास झील की तस्वीर में वो नाव बनाओ
जो देखने पे कहे के आँख मे बहाव बनाओ
ये रात सिर्फ अंधेरी नही है,सर्द भी है
दिया बना लिया..?शबाश..अब अलाव बनाओ
बनाना जानते हो,तुम तो सबके दिल मे जगह
हमारे दिल मे बना कर दिखाओ..आओ..बनाओ
किताब फाड़ के भी नाव ही बनानी है
तो सीधे पेड़ को काटो ..सुखाओ..नाव बनाओ
ये संगेमरमरी नाखुन ये कत्थई पाँलिस
के कोई देखे तो कह दे हमारे घाव बनाओ
बनाओ ताज महल के बजाय,ताश महल
तमाम उम्र मोहब्बत करो ,गिराओ बनाओ
तुम्हारी अच्छी बनेगी हमारे साथ
के तुम बहाने अच्छे बना लेते हो..बनाओ..बनाओ


तितली से दोस्ती,ना गुलाबो का शौक है
मेरी तरह उसे भी किताबो का शौक है
हम आशिके गज़ल है,तो मगरूर क्यो ना हो
आखिर ये शौक भी तो नबाबो का शौक है


किसी के साये को कैद करने का इक तरीका बता रहा हुँ
इक उसके आगे चिराग रख दे,एक उसके पीछे चिराग रख दे
मै दिल की बातो मे आ गया,और उठा के ले आया उसकी पायल
दिमाग देता रहा सदाये,”चिराग रख दे” “चिराग रख दे”

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