कहना तो बहोत कुछ है तुझसे – इस पोस्ट मे जो कविता प्रस्तुत की गयी है उसे RJ VASHISHTH के द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।
कहना तो बहोत कुछ है तुझसे
मगर कह कहाँ पाता हूँ ?
सच है की जीना है तेरे बग़ैर
मगर एक पल भी रह नहीं पाता हूँ
कोशिश हर बार होती है
तुझे भुलाने की
पर एक पल भी कहाँ भुला पाता हुँ
देखना चाहता हुँ,हर रात सपने
पर मै खुद को सुला नही पाता हुँ
तू अगर देख पाती,तो समझ जाती
कि इस बेबसी को कहाँ छुपा पाता हुँ
छलक जाता है,दर्द आँखो से कभी
पर मै खामोश भी कहाँ रह पाता हुँ
लिये फिरता हुँ,इक समंदर इन आँखो मे
मगर रो लू जी भर के ऐसा भी कहाँ कर पाता हुँ
मुमकिन नही था जीना तेरे बगैर,ठीक है..
तो सुन ले ..ऐ बेखबर तेरे बिना मुमकिन नही था जीना
मगर मजबूर हुँ..मै मर भी नही पाता हुँ
कितना कुछ कहना है तुझसे
पर कह नही पाता हुँ
जीना है तेरे बगैर ये सच है
पर एक पल भी कहाँ रह पाता हुँ
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