ऐसा लगता ही नही प्यास के पाले हुये है-Abbas Qamar Poetry | Guftam 2021 |

Poetry Details:-

ऐसा लगता ही नही प्यास के पाले हुये है-Abbas Qamar Poetry | Guftam 2021 –इस पोस्ट मे कुछ शायरियाँ और गज़ले प्रस्तुत की गयी है जो कि Abbas Qamar के द्वारा लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है।

ऐसा लगता ही नही प्यास के पाले हुये है,
इतनी आसानी से दरिया के हवाले हुये है


हमको ले डूबी मोहब्बत,उसको दुनिया खा गयी
गैब से ईसा को बुलवाओ, कयामत आ गयी


जिस्म के जिस्म से टकराते ही जां हो गया है
आग सीने मे लगा कर वो धुंआ हो गया है


जस्बा-ए-दिल सरकशी से चूर होना चाहिये
जो मुनासिब है,वो नामंजूर होना चाहिये
देखकर जख्म-ए-जिगर कहता है मुझसे चारागर
ठीक है …,गहरा है…,पर नासूर होना चाहिये
वह हसीं इतना है कि उसकी परस्तिश के लिए
जो नहीं राज़ी उसे मजबूर होना चाहिए
इश्क ही से है अगर है नेस्ती हस्ती में फर्क़
इश्क होना चाहिए भरपूर होना चाहिए
आपकी सादा दिली ख़ुद आपकी तौहीन है
हुस्न वालों को ज़रा मग़रूर होना चाहिए


ना बर्दो बार से मतलब,ना यादे शाखे शज़र
यही खिज़ा मेरा मौसम,यही कफ़स मेरा घर
चरागे शौक बुझा कर कभी कभी मेरा दिल
मसाफ़ते शबे हिज्रा पे डालता है नज़र
इस इंतजार की मंजिल नही कोई फिर भी
रहे उम्मीद पे बैठे हुये है ख्वाब बसर
खुदा ना समझे तो क्या समझे खुद को हाकिमे शहर
ना इंकलाब का खर्चा, ना इख्तिलाफ का डर
उदासियो का तसलसुल ,शिकन हुआ है के बस
भटक रही है तबीयत मेरी,इधर से उधर
बचा के हाथ गुजर जाईये “कमर अब्बास”
ना जाने शाखे तमन्ना पे फूल है के शरद

 

एक ही तमाशा है,एक ही तमाशाई
रुह काँंप जाती है,वो बला है तन्हाई
मै तो राहे उल्फत की,उलझनो मे उलझा था
तुम कहो तुम्हे मेरी,याद क्यो नही आई
दर्द जब सुनाई दे, तब तो दिल दुहाई दे
क्या पता कहाँ होगी,गम ज़दो की सुनवाई?
गूंजता है हर लम्हा दिल मे शोर वावेला
गाम गाम सरताबी, शहर शहर बलबाई
हम उसी को रोते है,जो हमे नही रोता
आँसुओ की बारिश में,बह गयी है बीनाई
एक ही तमाशा है,एक ही तमाशाई
हम उसी के दुश्मन है,जो तुम्हारा दुश्मन है
जो तुम्हारा शैदाई ,हम उसी के शैदाई
एक ही तमाशा है,एक ही तमाशाई


ऐसे तन्हा भी रहना नही ठीक है
और दिल का लगाना भी अच्छा नही
आप खैर आप है,आप से क्या गिला
आज कल तो जमाना भी अच्छा नही
तेरी चारागरी है बढी पुर असर
हमने ये भी सुना है कहीं से मगर
दुश्मनी भी बुरी तुझसे, ऐ चारागर
और तेरा दोस्ताना भी अच्छा नही
राह चलते अगर पूछ ही ले कोई
क्या कहेंगे?कहाँ खो गई जिंदगी?
सच बताने की हिम्मत नही अपने पास
और कोई बहाना भी अच्छा नही

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