इस तरह से ना आजमाओ मुझे,उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे-ALI ZARYOUN

Poetry Details:-

इस तरह से ना आजमाओ मुझे,उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे-इस पोस्ट में ANDAAZ E BAYAAN AUR – DUBAI 2019 के मुशायरे मे कहे गये गजले और शेर को शामिल किया गया है जो कि ALI ZARYOUN के द्वारा लिखे एवं प्रस्तुत किये गये है।

जागना और जगा के सो जाना,रात को दिन बना के सो जाना
text करना तमाम रात उसको,उंगलियो को दबा के सो जाना
आज फिर देर से घर आया हुँ,आज फिर मुँह बना के सो जाना
ख्याल मे भी उसे बेरिदा नही किया है,ये जुल्म मुझ से नही हो सका नही किया है
मै एक शख्स को ईमान जानता हुँ तो क्या,खुदा के नाम पे लोगो क्या नही किया है
इसीलिये तो मै रोया नही बिछड़ते समय,तुझे रवाना किया है जुदा नही किया है
ये बदतमीज अगर तुझसे डर रहे है तो फिर,तुझे बिगाड़ कर मैने बुरा नही किया है

सब कर लेना लम्हे जाया मत करना,गलत जगह पर जज्बे जाया मत करना
इश्क तो नीयत की सच्चाई देखता है,दिल ना झुके तो सजदे जाया मत करना
सादा हुँ और brands पसंद नही मुझको,मुझ पर अपने पैसे जाया मत करना
रोजी रोटी देश मे भी मिल सकती है,दूर भेज के रिशते जाया मत करना

क्या सीख सकोगे भला हिजरत से हमारी,तुम लोग मजा लेते हो हालात से हमारी
हम कौन है ये बात तुम्हे लिख के बताये,अंदाजा नही होता शबाहत से हमारी
बेसूद नही रायेगा हो जाना हमारा,कुछ फूल खिले है तो मुश्क्क्त से हमारी

इस तरह से ना आजमाओ मुझे,उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे
एन मुमकिन है मै पलट आऊँ,उसकी आवाज मे बुलाओ मुझे
मैने बोला था याद मत आना,झूठ बोला था याद आओ मुझे

प्यार मे जिस्म को यक्सर ना मिटा,जाने दे कुर्बते लम्स को गाली ना बना जाने दे
तू हर रोज नये हुस्न पे मर जाता है,तू बतायेगा मुझे इश्क है क्या ,जाने दे
चाय पीते है कही बैठ के दोनो भाई,जा चुकी है ना तो बस छोड़ चल आ,जाने दे

हालत जो हमारी है तुम्हारी तो नही है
ऐसा है तो फिर ये कोई यारी तो नही है
तन्हा ही सही लड़ तो रही है वो अकेली
बस थक के गिरी है अभी हारी तो नही है
ये तू जो मोहब्बत मे सिला माँग रहा है
ऐ शख्स ! तू अंदर से भीखारी तो नही है
जितनी भी कमा ली हो बना ली हो ये दुनिया
दुनिया है तो फिर दोस्त तुम्हारी तो नही है
नेकियाँ और भलाईयाँ मौला,सब के सब खुद नुमायीयाँ मौला
अपनी कोई दुकानदारी नही,अपनी कैसी कमायियाँ मौला
एक शरारत भरा सवाल करू,औरते क्यो बनायिया मौला
खुदा बंदा तने तन्हा गया है,सुऐ दरिया मेरा प्यासा गया है
अजल से ले के अब तक औरतो को सिवाये जिस्म क्या समझा गया है
खुदा की शायरी होती है औरत,जिसे पैरो तले रौंदा गया है
तुम्हे दिल के चले जाने पे क्या गम,तुम्हारा कौन सा अपना गया है

चादर की इज्जत करता हुँ,और पर्दे को मानता हुँ
हर पर्दा,पर्दा नही होता इतना मै भी जानता हुँ
सारे मर्द ही इक जैसे है तुमने कैसे कह डाला
मै भी तो एक मर्द हुँ तुमको खुद से बेहतर मानता हुँ
मैने उससे प्यार किया है मिलकियत का दावा नही
वो जिसके भी साथ है मै उसको भी अपना मानता हुँ
चादर की इज्जत करता हुँ,और पर्दे को मानता हुँ
हर पर्दा,पर्दा नही होता इतना मै भी जानता हुँ

कोई दिक्कत नही है गर तुम्हे उलझा सा लगता हुँ
मै पहली मरतबा मिलने मे सबको ऐसा लगता हुँ
जरूरी तो नही हम साथ है तो कोई चक्कर हो
वो मेरी दोस्त है और मै उसे बस अच्छा लगता हुँ

मै सोचता हुँ ना जाने कहाँ से आ गये है
हमारे बीच जमाने कहाँ से आ गये है
मै शहर वाला सही,तू तो गाँवजादी है
तुझे बहाने बनाने कहाँ से आ गये है
मेरे वतन तेरे चेहरे को नोंचने वाले
ये कौन है ये घराने कहाँ से आ गये है

जो इस्मो जिस्म को बाहम निभाने वाला नही
मै ऐसे इश्क पे ईमान लाने वाला नही
मै पांव धो के पीऊँ यार बन के जो आये
मुनाफिको को तो मै मुँह लगाने वाला नही
बस इतना जान ले, ऐ पुरकशिश! दिल तुझसे
बहल तो सकता है पर तुझ पे आने वाला नही
तुझे किसी ने गलत कह दिया मेरे बारे
नही मिंया मै दिलो को दुखाने वाला नही
सुन ऐ कबिला-ए-कुफी दिलां मुकर्र सुन
अली कभी भी हजीमत उठाने वाला नही

गुले सबात महकता है और बुलाता है
मेरी गजल कोई पस्तो मे गुनगुनाता है
अजीब तौर है उसके मिजाज-ए-शाही का
लड़े किसी से भी आँखे मुझे दिखाता है
तुम उसका हाथ झटक कर ये क्युं नही कहती
तू जानवर है जो औरत पे हाथ उठाता है
चमकते दिन बहुत चालाक है शब जानती है
उसे पहले नही मालूम था अब जानती है
ये रिशतेदार उसको इसलिये झुठला रहे है
वो रिशता माँगने वालो का मतलब जानती है
जो दुख उसने सहे है उसकी बेटी तो ना देखे
वो माँ है और माँ होने का मंसब जानती है
ये अगली row मे बैठी मुझसे सरबत सुनने वाली
मै उसके वास्ते आया हुँ ये कब जानती है

यार तो उसकी सालगिराह पर क्या क्या तोहफे लाये है
और इधर हमने उसकी तस्वीर को शेर सुनाये है
आप से बढकर कौन समझ सकता है रंध और खुशबू को
आप से कोई बहस नही है आप उसके हमसाये है
किसी बहाने से उसकी नाराजी खत्म तो करनी थी
उसके पसंदीदा शायर के शेर उसे भिजवाये है

तुम सरबत को पढ़ती हो कितनी अच्छी लड़की हो
बात नही सुनती हो क्युं,गजले भी तो सुनती हो
लोग नही डरते रब से,तुम लोगो से डरती हो
मै जीता हुँ तुम मे,तुम क्यो मुझ पर मरती हो
आदम और सुधर जाये,तुम भी हद ही करती हो
मै जन्नत से निकला था,और तुम मुझसे निकली हो
किस ने जीन्स करी मन्नू ,पहनो अच्छी लगती हो
बात मुकद्दर की है सारी,वक्त का लिखा मारता है
कुछ सजदो मे मर जाते है,कुछ को सजदा मारता है
सिर्फ हमीं है जो तुझ पर पूरे के पूरे मरते है
वरना किसी को तेरी आँखे, किसे को लहजा मारता है
दिलवाले इक दूजे की इमदाद को खुद मर जाते है
दुनियादार को जब भी मारे दुनिया वाला मारता है
शहर मे एक नये कातिल के हुस्न-ए-सुखन के वलवे है
उससे बच के रहना शेर सुना कर बंदा मारता है


मन जिसका मौला होता है वो बिल्कुल मूसा होता है
तुम मुझको अपना कहते हो कह लेने से क्या होता है
अच्छी लड़की जिद नही करते,देखो इश्क बुरा होता है
तुम मुझको अपना कहते हो,कह लेने से क्या होता है
आँखे हँस कर पूछ रही है,नींद आने से क्या होता है
मिट्टी की इज्जत होती है,पानी का चर्चा होता है
मरने मे कोई बहस ना करना,मर जाना अच्छा होता है

तूरे सीना है सर करोगे मिंया,अपने अंदर सफर करोगे मिंया
तुम हमे रोज याद करते हो,फिर तो तुम उम्र भर करोगे मिंया
वो जो इक लफ्ज मर गया है यहाँ,उसकी किसको खबर करोगे मिंया
दिल-ए-दरवेश इक मदीना है तुम मदीने मे शर करोगे मिंया

मै इश्क अलस्त परस्त हुँ,खोलू रुहो के भेद
मेरा नाम सुनहरा साँवरा एक सुंदरता का वेद
मै खुरचू नाखूने शौक से,इक शब्द भरी दीवार
वो शब्द भरी दीवार है,ये रंग सजा संसार
है ११४ सूरते ,बस इक सूरत का नूर
वो सूरत सोणे यार की,जो आसन्न और भर पूर
मन मुक्त हुआ हर लोभ से,अब क्या चिंता क्या दुख
रहे हरदम यार निगाह मे ,मेरे नैनन सुख ही सुख
ये पेड़ परिंदे तितलियाँ मेरी रूह के साये है
ये जितने घायल लोग है ,मेरे माँ जाये है
मेरी आँख कलंदर कादरी मेरा सीना है बगदाद
मेरा माथा दिन अजमेर का ,दिल पाक पतन्नाबाद
मै आप अपना अवतार हुँ,मै आप अपनी पहचान
मै दीन धरम से मावरा,मै हुँ हजरत इंसान

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