चलो माना तुमने वफाओ के मेरे ….. Mumtaz Naseem – Hamari Association Mushaira

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चलो माना तुमने वफाओ के मेरे ….. Mumtaz Naseem – Hamari Association Mushaira-इस पोस्ट में Mumtaz Naseem की लिखी गयी कुछ गज़ले और शायरियाँ पेश की गयी है,जोकि Mumtaz Naseem के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।

चलो माना तुमने वफाओ के मेरे सब निशान मिटा दिये
मगर इसका मुझको यकीं नही मेरे खत भी तुमने जला दिये
शबे जिंदगी के अंधेरो मे जो भटक रहे हो तो क्या करू
जो चिराग मैने जलाये थे,वो चिराग तुमने बुझा दिये

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तुझे इसकी कोई खबर नही ये मेरे सुकून की बात है
मेरी जिंदगी का सवाल है तेरे एक फोन की बात है

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जिसे मैने सुबह समझ लिया,कही ये भी शाम-ए-अलम ना हो
मेरे सर की आपने खायी जो ,कही ये भी झूठी कसम ना हो
वो जो मुस्कुराये है बेसबब ये करम भी उनका सितम ना हो
मैने प्यार जिसको समझ लिया कही ये भी मेरा भरम ना हो
तू जो हस्ब-ए-वादा ना सका,तो बहाना ऐसा बना नया
के तेरा वकार भी कम ना हो,मेरा एतबार भी कम ना हो
जिसे देखकर मै ठिठक गयी,उसे ओर गौर से देख लू
ये चमक रहा है जो आईना,कही तेरा नक्शे कदम ना हो
मेरे मुँह से निकला ये बरमला,तुझे शाद काम रखे खुदा
तू पयाम लाया है यार का,तेरी उम्र खिज्र से कम ना हो

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बदरिया रे बदरिया रे वहा जा के बरसो रे जहाँ मोरे सवरियां
चंदा से पूछा सितारो से पूछा आँखो से पूछा नजारो से पूछा
सावन की पड़ती फुआरो से पूछा,बागो में जा के बहारो से पूछा
नदिया भी देख आयी,पर्वत भी देख आयी उ्ठ उठ के थक गयी नजरिया रे
वहा जा के बरसो रे जहाँ मोरे सवरियां बदरिया रे
मुझसे दीवाली का दीप नही जलता
सूनी सूनी रहो मे पाव नही चलता
बात नही छुपती है,शब्द नही मिलता
निन्दिया के झूले मे ख्वाब नही पलता
आँसू बहाते हुये,मोती लुटाते हुये
बीत ना जाये उमरिया रे उमरिया रे
वहा जा के बरसो रे जहाँ मोरे सवरियां बदरिया रे
बिंदिया जमाऊ तो गिर जाये बिंदिया
कजरा लगाऊ तो बह जाये कजरा
पुरवायी छेड़ करे सरके ना अचरा
लाख श्रंगार करू दमके ना मुखड़ा
खिड़की ना खोलू कभी,मुख से ना बोलू कभी
जाऊ ना घर से बजरिया रे बजरिया रे
वहा जा के बरसो रे जहाँ मोरे सवरियां बदरिया रे

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