Ek Khudgarz Ladki Ki Kahani-इक खुदगर्ज लडकी की कहानी-Pallavi Mahajan

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Ek Khudgarz Ladki Ki Kahani-इक खुदगर्ज लडकी की कहानी-इस कविता में महिलाओं द्वारा सामना किए गए मुद्दों पर आधारित हैIएस कविता को Pallavi Mahajan के दवारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है,YourVoice यु-टयुब चैनल पर प्रदर्शित किया गया है।

आँखो में मेरे है अशक तेरे,कहना तेरा खुदगर्ज है हम
ये बात भला क्या बात हुई,दिया दर्द कहा हमदर्द है हम
तु इशक है भगवान है,तु इक दुआ का नाम है
कह कर विदा हमें कर दिया,ऐसा भी कैसा कर्ज है हम
आँखो में मेरे है अशक तेरे,कहना तेरा खुदगर्ज है हम
हम ने तुझ में था कल देखा,तेरे आज में अपना कल सौंपा
तूने हर सपना रौंद दिया,हँस कर के बोला मर्द है हम
आँखो में मेरे है अशक तेरे,कहना तेरा खुदगर्ज है हम
तूने जो कहा हमने वो किया,तूने क्या किया हमको ये बता
इसको कैसा रिशता बोलू,ना प्यार तेरा ना फर्ज है हम
आँखो में मेरे है अशक तेरे,कहना तेरा खुदगर्ज है हम
इस चेहरे को जो जाने है,उनको मालूम हम बदल गये
रौनक से भरे होते थे कभी,तुझ से क्या मिले अब जर्द है हम
आँखो में मेरे है अशक तेरे,कहना तेरा खुदगर्ज है हम
हम बात नही करते सबसे,मत पूछो क्या क्या बात हुई
युँ तो मिजाज है नर्म बडे,दिल ही के जरा अब सर्द है हम
आँखो में मेरे है अशक तेरे,कहना तेरा खुदगर्ज है हम
फिर आँख खुली हमने जाना,वो कल अपना था बीत गया
मुश्किल था सफर पर पार हुआ,मै खुश हुँ मुझे मौका तो मिला
अब खुद के लिये जीते है हम,ये आँख नही होती अब नम
वो सोचे है हम तन्हा है,देखे तो इधर इक बज्म है हम
तुम बात करो तो समझोगे,हम दर्द नही हमदर्द है हम
इन आँखो में अब अशक नही,हाँ थोडे खुदगर्ज है हम
अब थोडे खुदगर्ज है हम

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